अक्टूबर का महीना खेती-बाड़ी के लिए खास माना जाता है। इस समय मौसम न ज्यादा गर्म रहता है और न ही बहुत ठंडा। ऐसे में यही वह वक्त होता है जब किसान रबी सीजन की तैयारी शुरू करते हैं और अपनी जमीन को नई फसलों की बुवाई के लिए तैयार करते हैं। खेती के इस बदलते दौर में अब किसान पारंपरिक फसलों के साथ-साथ नकदी फसलों की ओर भी बढ़ रहे हैं ताकि कम समय में अधिक आमदनी प्राप्त की जा सके।
भारत सरकार और राज्य सरकारें भी किसानों को आर्थिक रूप से समृद्ध बनाने के लिए तरह-तरह की कृषि योजनाएं चला रही हैं। इन योजनाओं का लाभ उठाकर किसान कम मेहनत में अधिक उत्पादन और मुनाफा कमा सकते हैं। सही समय पर सही फसलें चुनी जाएं तो खेत सच में ‘ATM’ बन सकता है, जहां से किसान को हर मौसम में नकदी मिलती रहे।
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अक्टूबर माह में ऐसी कई फसलें हैं जिन्हें यदि सही तकनीक और सिंचाई सुविधा के साथ लगाया जाए, तो मात्र 90 दिनों में अच्छी पैदावार और अधिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है। ऐसी पांच फसलें हैं – सरसों, मेथी, मूली, पालक और फूलगोभी।
सरसों की फसल रबी मौसम की प्रमुख नकदी फसल है। इसे अक्टूबर के पहले पखवाड़े में बोया जा सकता है। यह फसल लगभग 90 से 100 दिनों में तैयार हो जाती है और बाजार में इसकी मांग हमेशा बनी रहती है। सरकार भी तेलहन फसलों को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय तेलबीज मिशन जैसी योजनाओं के तहत किसानों को बीज, उर्वरक और प्रशिक्षण की सुविधा देती है।
मेथी एक कम अवधि वाली लाभदायक फसल है जो मिट्टी को उपजाऊ भी बनाती है। इसका उपयोग औषधि और मसाले दोनों रूप में किया जाता है। मेथी की फसल 45 से 60 दिनों में तैयार हो जाती है और किसान दो बार कटाई करके दोगुना लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
मूली भी अक्टूबर में बोने के लिए उपयुक्त फसल है। यह हल्की ढेलेदार मिट्टी में तेजी से बढ़ती है। मूली की फसल 60 से 70 दिनों में तैयार हो जाती है और सब्जी बाजार में इसका दाम स्थिर और आकर्षक रहता है। साथ ही सरकार की सब्जी विकास परियोजनाओं के अंतर्गत बीज विस्तार कार्यक्रमों में भी मूली को प्राथमिकता दी गई है।
पालक एक हरित पत्तेदार फसल है जिसे अक्टूबर में बोने पर किसान दो से तीन बार तुड़ाई कर सकते हैं। यह फसल पोषक तत्वों से भरपूर होती है और इसका बाजार मूल्य भी लगातार अच्छा रहता है। खेतों में पालक लगाने से किसान को हर पंद्रह दिनों में आय मिलती रहती है, जिससे खेत सचमुच एटीएम बन जाता है।
फूलगोभी रबी सीजन की प्रमुख सब्जियों में से एक है। अक्टूबर में लगाए जाने पर इसकी गुणवत्ता सबसे बेहतर रहती है। इसकी फसल 90 दिनों में तैयार होती है और मंडियों में इसका मूल्य अधिक रहता है। सरकार ‘राष्ट्रीय बागवानी मिशन’ के अंतर्गत सब्जी उत्पादकों को वित्तीय सहायता, बीज वितरण और आधुनिक प्रशिक्षण का लाभ देती है।
सरकार की योजनाएं और सहायता
किसानों की आय दोगुनी करने के उद्देश्य से केंद्र और राज्य सरकारें कई योजनाएं चला रही हैं। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत किसानों को सीधे खाते में आर्थिक सहायता दी जाती है ताकि वे बीज, खाद और सिंचाई के खर्च पूरे कर सकें।
इसके अलावा ‘प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना’ किसानों को प्राकृतिक आपदाओं की स्थिति में सुरक्षा कवच प्रदान करती है। किसान बिना ज्यादा जोखिम के फसल लगा सकते हैं और यदि नुकसान होता है तो उन्हें मुआवजा मिलता है।
‘राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन’ और ‘राष्ट्रीय बागवानी मिशन’ के तहत बीज, उर्वरक, कृषि यंत्र और सिंचाई उपकरणों पर सब्सिडी दी जाती है। ये योजनाएं किसानों को आधुनिक तकनीक अपनाने के लिए प्रोत्साहित करती हैं और कृषि उत्पादन में वृद्धि लाती हैं।
साथ ही कृषि विभाग द्वारा समय-समय पर किसानों को प्रशिक्षण शिविरों में फसल चयन, भूमि परीक्षण, कीट नियंत्रण और जैविक खेती की सूचनाएं प्रदान की जाती हैं। इन योजनाओं और कार्यक्रमों का लाभ लेकर किसान अक्टूबर माह में चुनी गई फसलों से अधिक नफा कमा सकते हैं।
किसानों के लिए सुझाव
अक्टूबर में इन फसलों की बुवाई से पहले मिट्टी की जांच अवश्य करनी चाहिए ताकि सही उर्वरक और खाद का प्रयोग हो सके। सिंचाई और जल निकासी की व्यवस्था भी पहले से पक्की कर लें।
फसलों में कीट और रोग नियंत्रण के लिए जैविक दवाओं का उपयोग बेहतर विकल्प होता है। इससे फसल की गुणवत्ता बनी रहती है और उत्पादन लागत कम होती है। यदि किसान सरकारी कृषि केंद्रों से प्रमाणित बीज खरीदें तो उन्हें अधिक उपज और गुणवत्तापूर्ण फसल प्राप्त होगी।
कृषि वैज्ञानिकों की सलाह के अनुसार, खेती में विविधता लाना आवश्यक है। इससे जोखिम घटता है और हर महीने आय सुनिश्चित रहती है।
निष्कर्ष
अक्टूबर के महीने में सरसों, मेथी, मूली, पालक और फूलगोभी जैसी फसलें लगाकर किसान कम समय में अधिक मुनाफा कमा सकते हैं। सरकारी योजनाओं का सहारा लेकर यह खेती और भी लाभकारी बन जाती है। यदि इन फसलों को सही प्रबंधन और मेहनत से उगाया जाए तो सचमुच खेत किसान के लिए अपने आप में एक चलती-फिरती एटीएम मशीन बन सकता है।